आज भी…

यादों की जीर्ण दीवारों पर
आज भी तस्वीर तेरी लगी है
कुछ चंद लम्हों को संजोती
आज भी निगाहों में नमी हैं

रात की बेसब्र खामोशियों में
आज भी सदाएं तेरी गूंजती हैं
कुछ चंद लम्हों को संजोती
आज भी निगाहों में नमी हैं

मौसम के रंगीन चेहरों पर
आज भी अक्स तेरी सजी है
कुछ चंद लम्हों को संजोती
आज भी निगाहों में नमी हैं

वक़्त की मासूम हलचल में
आज भी हंसी तेरी छिपी है
कुछ चंद लम्हों को संजोती
आज भी निगाहों में नमी हैं

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आशा सेठ