बसेरा…

चुपके से
दबे पाओं आकर
मेरे दिल में
तुम्हारी बातें
कुछ ऐसे
बसेरा कर गयीं
की आज
मुझसे ज़्यादा
कहीं तुम हो
झलकती
उन आइनों से
जिनमें मैं
कभी खुदको
तलाशता था

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आशा सेठ