यूँ बिन बताए आधी रात आना
सब जान चुके हैं
परेशान हो चुके हैं
अब शांत हो चुके हैं
यूँ खिड़की से सीटियां मारना
सब जान चुके हैं
परेशान हो चुके हैं
अब हार चुके हैं
वक़्त का खेल तो देखो
किस्मत पलटवार कर गयी
अब जो जा चुकी हो तो सुनो
ख्यालों में
यूँ बिन बताए न आया करो
भूला चुका हूँ मैं
हार चुका हूँ मैं
यूँ दिलोदिमाग पे न छाया करो
मुक्त हूँ मैं
अब बदल चुका हूँ मैं
