निगाहों में जिनकी हम…

ग़म तो जनाब
इस बात का है की
निगाहों में जिनकी हम
ताउम्र रहना चाहते थे
उन्हें नज़रों से गिरने में
ज़्यादा वक़्त न लगा
हम सपने बुनते रह गए
और वो दबे पाओं दग़ा दे गए