कुछ हिस्से उन मुलाकातों के
वो पीछे छोड़ गए थे
उन्हें मैंने अलमारी में
संजोकर रखा है
जब किसी रात
उनकी कमी खलती है
और यादें छेड़तीं हैं
उन्ही टुकड़ो को
पलंग पर बिखेर देती हूँ
कभी उनमें उनकी
झलक ढूंढती हूँ
तो कभी
उन खामोशियों की चादर से
कुछ अधूरी हसरतों को
ढांक देती हूँ

अतिसुन्दर एहसास
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👏👏👏👏👏💐😊
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