मुकाम

ज़िन्दगी अक्सर ऐसे मुकाम पर ले आती है
जहां से आगे बढ़ना मुश्किल लगने लगता है
पीछे छूटे हुए रास्ते
सवाल करने लगते हैं
तीखे तीर मारने लगते हैं
मानो मज़ाक बना रहे हों
नुक्स निकाल रहे हों
कदम यह सोचके लड़खड़ाने लगते हैं की
जो आज अपने हैं
कहीं वह भी छोड़ कर चले गए तो
ऐसे में कहाँ जायेंगे
किस दरवाज़े खटखटाएंगे
कौन अपनाएगा
गलतियों को माफ़ करेगा
सीने से लगा कर कहेगा
कोई बात नहीं, जो हुआ उसे भूल जाओ
माथे से शिकन मिटाओ, मुस्कुराओ
ज़िन्दगी अक्सर ऐसे मुकाम पर ले आती है
जहां से लौटना कठिन हो जाता है
और आगे बस घाना कोहरा दीखता है