जब मिले हम उस पतझड़ से कुछ इस कदर डूबे उसकी ख़ूबसूरती में की यह पूछना भूल गए वह आएंगे भी या बस उनकी यादें साथ लाये हो उसकी बाहों में सिमट यह बोलना भूल गए इंतज़ार हमें वो करवाते हैं पर हमारी तन्हाई को सीने से तुम लगा लेते हो ~~~~~ आशा सेठ
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Bookworm. Poet. Story-teller.
जब मिले हम उस पतझड़ से कुछ इस कदर डूबे उसकी ख़ूबसूरती में की यह पूछना भूल गए वह आएंगे भी या बस उनकी यादें साथ लाये हो उसकी बाहों में सिमट यह बोलना भूल गए इंतज़ार हमें वो करवाते हैं पर हमारी तन्हाई को सीने से तुम लगा लेते हो ~~~~~ आशा सेठ
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