कल रात उनका खत आया खत में थी एक कविता देर तक उसे पढ़ती रही उनके मंसूबों को टटोलती रही खुशबू से उस खत के घर महक उठा मानो अभी अभी बरसात होके गया हो रात भर उनकी कविता करवटें लेती रही उनकी कमी गहराती गयी और मैं सुकून से परे रही भोर हुई तो…
Read More
Award-winning Indian Book Blogger
कल रात उनका खत आया खत में थी एक कविता देर तक उसे पढ़ती रही उनके मंसूबों को टटोलती रही खुशबू से उस खत के घर महक उठा मानो अभी अभी बरसात होके गया हो रात भर उनकी कविता करवटें लेती रही उनकी कमी गहराती गयी और मैं सुकून से परे रही भोर हुई तो…
Read Moreज़िन्दगी अक्सर ऐसे मुकाम पर ले आती हैजहां से आगे बढ़ना मुश्किल लगने लगता हैपीछे छूटे हुए रास्तेसवाल करने लगते हैंतीखे तीर मारने लगते हैंमानो मज़ाक बना रहे होंनुक्स निकाल रहे होंकदम यह सोचके लड़खड़ाने लगते हैं कीजो आज अपने हैंकहीं वह भी छोड़ कर चले गए तोऐसे में कहाँ जायेंगेकिस दरवाज़े खटखटाएंगेकौन अपनाएगागलतियों को…
Read Moreकुछ दिनों सेमन आतुर रहता हैसमझ नहीं आताआखिर यह चाहता क्या हैकुछ सवालों के जवाबढूंढता रहता हैभूले बिसरे यादों सेजबरन आंखें चार करता हैअधूरी कहानियों के अंतबूझता रहता हैआदतन खोया रहता हैसूखे ज़ख्मों कोकुरेदता रहता हैकोई इससे पूछे ज़राआखिर यह माजरा क्या हैइसकी लाचारी पेदिल भर आता हैअब न तो इसका पागलपन सहा जाता हैन…
Read Moreघर घर में कैद हैंमाँ की बेताबियाँ अनेक हैंबाबा की तन्हाईयाँ ढेर हैंदीदी के सपने सरफ़रोश हैं…*घर घर में कैद हैंख्वाहिशें बेचैन हैंदिल में रंजिशें खामोश हैंआपसी शिकवे हर रोज़ हैं…*घर घर में कैद हैंहसरतें बेख़ौफ़ हैंमनमर्ज़ियों का शोर हैबगावतों का शहर है…
Read MoreIs it the beginning of an end I wonder no words do justice I ponder * the 2am walk by the beach steps laden with follies the sand clings to my feet waves try to set them free * against the July winds heavy with juvenile chill my palms feel warm where they hug my…
Read Moreयूँ बिन बताए आधी रात आनासब जान चुके हैंपरेशान हो चुके हैंअब शांत हो चुके हैंयूँ खिड़की से सीटियां मारनासब जान चुके हैंपरेशान हो चुके हैंअब हार चुके हैंवक़्त का खेल तो देखोकिस्मत पलटवार कर गयीअब जो जा चुकी हो तो सुनोख्यालों मेंयूँ बिन बताए न आया करोभूला चुका हूँ मैंहार चुका हूँ मैंयूँ दिलोदिमाग…
Read More