और यूँही…

आज भी मन मचलता हैमाँ के आँचल मेंछिप जाने को दिल करता हैकभी बाबा की गोद मेंसर रखकर रोने को जी करता हैजेब मेरी उन यादों से छलक रही हैजो कभी खुशियां हुआ करती थींआज उनकी नमी सेपैर बोझिल हैंआँखें शुष्क हैंकोई रास्ता साफ़ दिखता नहींकोई मोड़ साथ देता नहींमन करता हैंमाँ-बाबा से कुछ ऐसे…

Read More